केमिकल युक्त पानी से लोनी के कई लोग परेशान



उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद (सतेन्द्र राघव) : जनपद गाजियाबाद के लोनी में ट्रानिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी से लोनी के कई गांव के लोग बेहद परेशान हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ट्रॉनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रीयों से निकलने वाला जहरीला पानी भू-जल को दूषित कर रहा है जिसके कारण गांव में गंभीर बीमारियां फैल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि गांवों में लोगों को कैंसर जैसी भयानक बीमारी हो रही है, जिससे कई लोगों की मौत हो चुकी है और अभी भी कई लोग कैंसर से पीड़ित है। बार-बार शिकायतें करने के बाद भी अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। आपको बता दें कि लोनी क्षेत्र में ट्रॉनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र जो की यूपीसीडा के द्वारा करीब 25 साल पहले बनाया गया था जिसमें फिलहाल हजारों की संख्या में फैक्ट्रियां संचालित होती हैं। इनमें से सैकड़ो फैक्ट्रियों में केमिकल का काम होता है इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी को साफ करने के लिए यहां पर एक ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया गया है जिसके जरिए करीब 12 किलोमीटर दूर एक पाइप लाइन डालकर पानी को शकलपुरा जावली गांव के पास स्थित नहर में डाला गया था, लेकिन इस ट्रीटमेंट प्लांट को नहीं चलाया जाता। जिसके कारण फैक्ट्री से निकलने वाला जहरीला केमिकल युक्त पानी सीधा पाइपलाइन के जरिए नहर में डाला जा रहा है। आमतौर पर यह नहर सूखी रहती है। केमिकल युक्त पानी जब नहर में जाता है तो इस क्षेत्र का भू-जल पूरी तरह दूषित हो चुका है। लोनी के गांव शकलपुरा जावली सहित आसपास के कई गांव के लोग पिछले काफी समय से गांव में फैल रही बीमारी से बेहद परेशान है इन गांव में लगातार कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं लोगों की मौत हो रही है बीमारी बढ़ने के बाद स्थानीय लोगों ने कई बार संबंधित अधिकारियों को शिकायत की है, लेकिन शिकायत के बावजूद अभी तक कोई निस्तारण नहीं किया गया जिसका खामियाजा इस क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ रहा है। लोगों ने यूपीसीडा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। वही जो पाइपलाइन ट्रॉनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र से नहर में डाली जा रही है। यह पाइपलाइन कई जगह से टूटी हुई है जिसके कारण यहां किसानों की कई बीघा जमीन भी इसकी जद में आ चुकी है। पिछले करीब 6 वर्षों से किसानों की 70 से 80 बीघा जमीन में केमिकल युक्त पानी भरा हुआ है और इन खेतों में खड़े पेड़ भी अब पूरी तरह सूख चुके हैं। लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायतें करने के बाद भी अधिकारियों की आँख नहीं खुल रही और उन्हें अपनी खेती से वंचित होना पड़ रहा है।