सरलता, सादगी और
सच्चाई में छिपा है सुखी जीवन का रहस्य
हापुड़, सीमन : हिंदी साहित्य संस्था हापुड़ के तत्वावधान में
रविवार को शिक्षाविद् सुभाष महेश द्वारा लिखित पुस्तक सुखी जीवन का रहस्य पर एक
विचार गोष्ठी का आयोजन हापुड़ में किया गया। गोष्ठी के मुख्य वक्ता भाषाविद् एवं
हिंदी विद्वान डा. तिलक सिंह का पुस्तक सुखी जीवन का रहस्य पर मत है इस पुस्तक में
सम्पूर्ण मानव जाति की प्रगति का आधार दिया है। सफल जीवन के लिए अमूल्य औषधि है। लेखक ने धैर्य, साहस, विनम्रता
और सहनशीलता को मानव सुख का विश्व कोष माना है। लेखक का मत है कि सरलता, सादगी और
सच्चाई में ही सुखी जीवन का रहस्य छिपा है। बच्चे की चुहुमुखी प्रगति के लिए उसकी
क्षमता,रुचि और ग्रहण क्षमता के अनुरुप ही पढ़ाई के विषयों का चुनाव होना चाहिए।
नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के ज्ञान, अनुभव और कार्यों का अनावरण करके सुख आसानी से
प्राप्त कर सकता है।
सुभाष महेश ने कहा
है कि मेरा जन्म स्वतंत्रता सेनानी परिवार मे हुआ। बचपन में मैने माता-पिता से
स्वतंत्र भारत के आदर्श रुप की कल्पना सुनी। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, कुछ अच्छा
की जगह बुरा होता दिखाई दिया।
संयोग
से व्यवसाय भी शिक्षक का चुना इस कारण एक लंबे समय तक युवाओं और समाज को गहराई से
समझने का अवसर मिला। इस दौरान मुझे काफी बातें बेमेल दिखाई पड़ती और जो मुझे
परेशान करती। फिर मैंने लेखों के माध्यम से अपने मन की बात रखनी शुरू की और पहली
पुस्तक सुखी जीवन की राह प्रकाशित की।
मेरे
सामाजिक लेख देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगे। लायंस क्लब इंटरनेशनल
एसोसिएशन की पत्रिका में तो मेरे लेख यह कहकर प्रकाशित हुए की जनहित व राष्ट्रीय
हित में बड़े महत्वपूर्ण हैं। इन पर क्लब की बैठक में नियमित चर्चा होनी चाहिए। यह
पत्रिका 210 देशों में जाती है जिस पाठक को मेरे लेख जनहित में सटीक लगते हैं ऐसे
बंधु मुझे देश के कोने कोने से बधाई देते हैं जिस कारण मुझे नई पुस्तक सुखी जीवन
का रहस्य प्रकाशित करने की प्रेरणा मिली।
गोष्ठी
के अध्यक्ष डॉ अशोक मैत्रेय ने कहा कि लेखक सुभाष महेश युवा मन के कुशल चितेरे हैं।
वह सामाजिक जीवन में व्याप्त विसंगतियों को इंगित करने के साथ-साथ उनको एक कुशल
मार्गदर्शन की भांति निराकरण का उपाय भी बताते हैं।
डॉ
राकेश अग्रवाल ने कहा कि लेखक का मत है कि जरूरी नहीं कि धन देने से ही समाज सेवा
होती है शिक्षित व्यक्ति अशिक्षित को पढ़ाकर, बूढ़े व अपाहिज व्यक्ति को सड़क पार कराना,
जरूरतमंद को गर्म कपड़ा या दवा दिलाना, निर्धन मेधावी छात्र की पढ़ाई कराने में
उचित व्यवस्था कराना, रक्तदान व नेत्रदान किसी भी समाज सेवा से कम नहीं है। इस
अवसर पर डॉ महेंद्र शर्मा, पूजा महेश, संदीप महेश, दिनेश हरकुट, हर्षवर्धन, डॉक्टर
रानी अग्रवाल, शीला महेश, मीनू, वृंदा माहेश्वरी, मुकेश जावेदिया, प्रदीप महेश आदि
लोग उपस्थित थे।