आम निर्यात पर उत्पादकों से चर्चा
हापुड़, सीमन:देश की प्रसिद्ध संस्था एपीडा ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादकों, किसानों,वैज्ञानिकों, ट्रेडर्स, एक्सपोर्टर्स के साथ वेबीनार पर एक मीटिंग की, जिसका संचालन एपीडा के डिप्टी डायरेक्टर सी बी वाराणसी ने किया। उन्होंने बताया कि जब हम आम को एक्सपोर्ट करने का विचार करते हैं तब उसमें वह आम आता है जो ढाई सौ ग्राम से बड़ा है।हमें आम को तैयार करते समय हार्वेस्टिंग टूल्स का प्रयोग करना चाहिए। भारतीय आमों में चौसा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला आम है। चोसें का स्वाद प्रत्येक विदेशी याद रखता है ।अतः हमारे आम में सबसे ज्यादा जो संभावना विदेश को निर्यात होने की है उसमें चोसें का प्रमुख स्थान है जो उत्तर प्रदेश की पश्चिमी बेल्ट में बहुतायत में पैदा जाता है ।
गंगा नेचुरल फार्म गढ़मुक्तेश्वर के भारत भूषण गर्ग ने एपीडा से मांग की कि हमें आम जब आंधी में गिर कर बेकार हो जाता है तो उसकी प्रोसेसिंग की टेक्निक आपके द्वारा प्रदान की जानी चाहिए हम चाहते हैं कि उससे हम खटाई ,अमचूर बना सकें तथा जो डाली का आम पक जाता है उसको जूस के लिए स्टोरेज कर सकें तथा आम उत्पादक किसानों को कैनोपी मैनेजमेंट के लिए आवश्यक इंप्लीमेंट सरकारी सहायता पर दिए जाएं। डॉ सी बी सिंह ने सभी एफपीओ से निवेदन किया कि वह एपीडा की वेबसाइट पर स्वयं का रजिस्ट्रेशन करा लें जिससे एक्सपोर्टर डायरेक्ट आपसे बात कर सके। सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए क्लस्टर बनाने शुरू कर दिए हैं जिसमें वेस्ट यूपी का क्लस्टर सहारनपुर में बनाया गया है ।कार्यक्रम में प्रदीप कुमार ने फ्रूट कैपिंग की बात की वही भूपेंद्र कुमार ने आम की डुलाई में होने वाले अधिक खर्चे की तरफ ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम में न्यूजीलैंड से पूजा, अमरोहा से शांतनु सैनी ,हरिद्वार से ज्योति स्वरूप, बेंगलुरु से इंसा फ्रूट्स ,डॉ विनीता सुधांशु आदि ने अपने -अपने विचार प्रकट किये।