मौत का तांडव सकल दिशा में,यह कैसी महामारी है
हापुड़, सीमन:हिंदी प्रोत्साहन समिति के तत्वावधान में एक ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।अध्यक्षता डा अनिल बाजपेई ने तथा मंच संचालन गरिमा आर्य ने किया।
मुख्य अतिथि राकेश माहेश्वरी ने कहा कि हिंदी के प्रचार प्रसार में हिंदी प्रोत्साहन समिति पूरे देश में पूरी तन्मयता के साथ कार्य कर रही है।विशिष्ट अतिथि विनोद गुप्ता,अजय बंसल व दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि हिंदी जनमानस एवम् जनसंपर्क की भाषा है।
गरिमा आर्य ने पढ़ा,'मैं भी प्रकृति का हिस्सा हूँ
मैं नीम नदी अब एक किस्सा हूँ ,मेरी प्यारी संतान सुनो
इस बूढ़ी माँ का ध्यान करो ।मैं फिर से बहना चाहती हूँ ।
कल-कल कुछ कहना चाहती हूँ ।
डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा ,
'छंट रहा देखो तिमिर अब उजाला है।
परमपिता तू ही जिसने संभाला है!
कभी है गिरिधर नामधारी जो,
कभी कैलाश गिरि पे तू शिवाला है।'
डा मंजीत सिंह अवतार ने पढ़ा,'वही सुनहरा पल आयेगा आज नहीं तो कल आयेगा,हम तुम फिर से गले मिलेंगे,हाथों में फिर हल आयेगा'।।
डा आराधना बाजपेई ने पढ़ा,
'काबू रक्खो क्रोध पर,कैद करो हथियार, कहें बुद्ध सबसे भला,बांटो केवल प्यार।'
डा मीनू शर्मा ने पढ़ा, 'समय ने देखा बदलकर,
कुछ ऐसा बन जाऊ मैं,
जैसा मानव कर रहा है,
कुछ ऐसा कर जाऊ मैं'।
मुक्ता शर्मा ने पढ़ा , 'मन सिहर उठता है, आज की वेदना को देखकर, मन व्यथित हो गया है, अनगिनत लाशों को जलता देख कर,'
निरंजना शर्मा ने पढ़ा
'हर साख ने पलकें बिछा,स्वागत किया मेहमान का,
आया ना आया एक सा ,आकर पराया रह गया।'
डा पुष्पा गर्ग ने पढ़ा,'हाहाकार मचा दुनिया में ,बेबसी और लाचारी है ।मौत का तांडव सकल दिशा में, कैसी यह महामारी है ।'
अंत में मुख्य अतिथि राकेश माहेश्वरी, विशिष्ट अतिथि अजय बंसल,विनोद गुप्ता, व दिनेश माहेश्वरी का आभार व्यक्त किया।