कवियों ने देशद्रोहियों पर किए प्रहार
हापुड़, सीमन:हापुड़ के पास के गांव ततारपुर में स्थित गुरुकुल महाविद्यालय ततारपुर में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कवि डा. चेतन आनंद ने की तथा मंच संचालन प्रख्यात कवि डा अनिल बाजपेई ने किया ।मुख्य अतिथि गुरुकुल के अध्यक्ष चौधरी शीशपाल ने कहा कवि समाज की विद्रूपताओं व विसंगतियों पर कविताओं के माध्यम से प्रहार कर समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं।विशिष्ट अतिथि अनिल गोयल व प्राचार्य डा प्रेमपाल शास्त्री ने कहा कि जब- जब समाज को आवश्यकता पड़ती है कवि अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करता है।लल्लू सिंह ,भगतराम,ने कवियों को पटका,पुष्पगुच्छ व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए चेतन आनंद ने पढ़ा, ' हौसलों से ही राहें खुलेंगी।
मंज़िलों की निगाहें खुलेंगी।
मुझको पाने की चाहत में 'चेतन',
आसमानों की बाँहें खुलेंगी।।
मंच संचालक डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा, ' ये जो चांद पाने का जिगर है!
तुम्हारी दुआओं का असर है!!
अब तो छू लेंगे हम ये अम्बर!
सच दूर तलक हमारी नजर है!!
प्रेरित क्या करेंगे जुगनू कभी!
इस बात की सूरज को खबर है !!
कुछ नहीं गहराई समंदर की!
योद्धाओं को कब कहां सबर है।
डा राहुल जैन ने पढ़ा अजी ये जिस्म है पूरा, इसे अंगों में मत बांटो,
कभी द्राविण कभी उत्कल कभी बंगों में मत बांटों,
कवयित्री प्रीति अग्रवाल ने पढ़ा,
देशद्रोहियों गद्दारों की दाल नहीं गलने देंगे
हमें राम की कसम शत्रु की चाल नहीं चलने देंगे
चन्द्र शेखर मयूर ने पढ़ा,हंस के मिट जाऊंगा इस वतन के लिए l
मैं भी तर जाऊंगा इस यतन के लिए l
गर्व से मेरी अर्थी भी इतरायेगी l
जब मिलेगा तिरंगा कफन के लिए l
डा सतीश वर्धन ने पढ़ा ,' जब जब देखो पड़ी जरूरत संकट विपदा में धन की ।
तब तब देखो बलि चढ़ी है माँ के कुंडल कंगन की ।
माँ के चरणों में है जन्नत माँ के आंचल में संसार।
पूछो उनसे क्या होती माँ जिन्हें मिला न माँ का प्यार ।
डा प्रेमपाल शास्त्री ने सभी कवियों का आभार व्यक्त किया