हे किसान जिंदा अगर,जिंदा हिंदुस्तान
हापुड़, सीमन:हिंदी साहित्य परिषद हापुड़ के तत्वावधान में नववर्ष के उपलक्ष्य में एक ऑन लाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
अध्यक्षता वरिष्ठ कवि प्रेम निर्मल ने की तथा संचालन डा. अनिल बाजपेई ने किया।
प्रेम निर्मल ने पढ़ा- हे राजन हठ छोड़कर,कुछ तो बनो महान,
है किसान जिंदाअगर,जिंदा हिंदुस्तान
महावीर वर्मा ने पढ़ा
कोरोना ने कर दिया, सब का बंटाधार नएवर्षने दिया हमें,वैक्सिन का उपहार
डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा -मस्ती में झूमो सदा, रहो सदा आबाद !
नया वर्ष प्रारम्भ है, तुम्हें मुबारकवाद
मिलें तुम्हें जी वर्षभर खुशियां अपरम्पार
लिए पुष्प गुच्छ हाथ में,वर्ष तुम्हारे द्वार !!
राम आसरे गोयल ने पढ़ा ,
इक डोर पकड़ लो जीवन की,
पुरुषार्थ करो परमार्थ करो।
जीवन का आधार यही,
संघर्ष करो कुछ त्याग करो।।
शायर फसीह चौधरी ने पढ़ा-
अलविदा ए साल ए दौरा अलविदा,अलविदा जख्म ए बहारा अलविदा
कौन भूलेगा कोरोना वायरस तू ने दिया, भाई को भाई की मैय्यत को भी ना छूने दिया।
शायर मुशर्रफ चौधरी ने पढ़ा वो अपने गुनाह लिख रही है, जख्मों के हिसाब लिख रही है,फूलों में पली हुई एक लड़की,पत्थरों पे किताब लिख रही है।
डा नरेश सागर ने पढ़ा
न जन्नत की ख्वाइश है,तमन्ना ना खजाने की,मुझे कोई सिखला दे ,अदा मां को मनाने की।
डा आराधना बाजपेई ने पढ़ा सुबह शुभ्र ज्योत्स्ना सी हो, शाम सुहानी मधुरिम हो,दस्तक देती रहें बहारे,जीवन हर पल स्वर्णिम हो। शिव प्रकाश शर्मा ने पढ़ा
सपने बुनतीं हैं आँखों में
रोटी जब वो सेकतीं हैं
गर्म तवे पर हाथ जलें हैं
जलें ना हों तो बतलाना
गरिमा आर्य ने पढ़ा, जिस घर में बेटियां हैं,वहां फूलों की महक है,चिड़ियों की चहक है,।
डा पुष्पा गर्ग ने पढ़ा,
शत शत वंदन है
नूतन वर्ष तुम्हारा अभिनंदन है।
गंगा शरण शर्मा ने पढ़ा लाहौर को दिल्ली से बस यूं ही चलाई थी,आपस में मेल बढ़े ये बात समझ में आई थी।